बावड़ी म्हूं

थां बरस्यां भरूं

हरूं

म्हारी तिरस।

जळ री हूं

निज ही आगार

तो हूं

थारै बिन निरजळी!

स्रोत
  • पोथी : मंडाण ,
  • सिरजक : सन्तोष मायामोहन ,
  • संपादक : नीरज दइया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : Prtham