हिवड़ै हेत जगाता आवौ,

पलकां पंथ बुहारूं म्हैं

गीत प्रीत रा गाता आवौ,

थांनै राज पुकारूं म्हैं

म्हैं उण बायरिया रौ झौंकौ,

जणमें थांरी सांस रमै

म्हैं उण बांसुरिया रौ डोकौ,

जिण पर थांरा होठ थमै

राग मिलण बजाता आवौ,

आरत आज उतारूं म्हैं

चांदा में उणियारौ जोऊं,

नैणां तरसै दरस बिना

ऊना आंसू कितना रोऊं,

काया सुळगै परस बिना

सुपणा सैण सजाता आवौ,

फुलड़ा सेज सजाऊं म्हैं

मन री सीप रा मूंघा मोती,

आप बिना घर सूनौ है

देह तणै दिवलै री जोती,

थां आया सुख दूणौ है

नेह निजरां बरसाता आवौ,

रंग-रूप सिणगारूं म्हैं

कंवळां केसां री किस्तूरी,

मद भरिया नैणा मनुहार

रंगत गालां री सिंदूरी,

मैंदी राच्या हाथां हार

जग सूं निजर चुराता आवौ,

थां पर सगळा वारूं म्हैं

स्रोत
  • पोथी : आंगणै सूं आभौ ,
  • सिरजक : छैलकंवर चारण ,
  • संपादक : शारदा कृष्ण ,
  • प्रकाशक : उषा पब्लिशिंग हाउस ,
  • संस्करण : प्रथम
जुड़्योड़ा विसै