जूण रै पगां चालता
कणा थक ज्यै कोई
कणा छक ज्यै कोई
नी बेरो।
पण इण थकणै
अर छकणै रै
बिचाळै जे
भेळी कर सकै
पीड़
चुग र जगती सूं
काळज्यै थारै
तो थारो थकणो
अर छकणो
सारथक है।