खेमो ताऊ सूत्या हा,

तूड़ी आळी साळ मैं।

गोगामेड़ी मेळे पूग्या,

बै तो जंजाळ मैं।

एक बैल गो सोदो करैं

पशु मेळे जा र।

दलाल देवै तीन सौ,

ताऊ मांगे हजार।

तीन सौ हजार बिचाळे,

हुई खींचा ताणी।

इते मैं ताऊ गी जाग खुलगी,

कींह आणी ना जाणी।

ताऊ देख्यो, घरे सूत्यां,

के हुई रे आ।

दूसर रजाई मुंह पर ले,

हाथ बारै काढ

बोल्या, ल्या रै

तीन सौ पकड़ा।

स्रोत
  • सिरजक : रूप सिंह राजपुरी ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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