1
टाबरां नै
नीं खेलणद्यै
मा-बाप
माटी में...
माटी सूं
किंयां हुवै मोह
टाबरां नै!
स्यात
इणी कारण
चल्याजै
थोड़ासा'क बडा हुवतांईं
टाबरिया परदेस।
2
कद खेलै टाबर
कद बात करै
कद टीवी चलावै
अर कद रमै विडियोगेम साथै...
होमवर्क करतां-करतांईं
आज्यै नींद,
नींद में ईं लेवै
रोट्यां रा
दो-च्यार गासिया!
ठा नीं
दूध कद प्यावै मा...
दिनुगै
भळै बा ई भाजमभाज
कठै गैई जुराबां?
अर किन्नै गयौ बैल्ट?
कित्ती चटकै
आज्यै बस ई!
स्कूल सूं घर
अर घर सूं स्कूल...
के जिनगी है
टाबरां री।
3
टाबर
कित्ता बोलै सांच!
नीं जाणै
बणावटी बातां
जात-पांत...
कदै जाणै
भेदभाव ई
टाबर.!
स्यात जदी हुवै टाबर
भगवान रौ रूप।
4
खेलणियौ तोड़तांईं
पड़ै
टाबरां रै थाप
अर सुणणी पड़ै बानै
उळ्टी-सीधी झिड़क्यां
मा-बाप री-
'कै इत्तौ
मूं गौ खेलणियौ
तोड़ दियौ
ल्यांवतांईं!'
खेलणियै सारू
टाबरां री
अबूझ आडी नै
कुण सुळझा सी?
उतर’र
आयसी कांईं
आभै सूं
कोई औतार।
5
टाबर सूं
कोई
क्यूं नीं
करै बात!
स्यात...
इण कारण कै
टाबर री
हरेक बात में
हुवै सुवाल।
6
टाबर
मार खाणै रै
थोड़ी सी ताळ पछै
हुय जावै बिस्या रा बिस्या!
टाबर
नीं बांधै गांठ-
अर आपां
थोड़ी सी बात माथै
बांधल्यां घुळगांठ।
7
टाबर
जे स्याणा बण’र रैसी-
तद
स्याणा नै
दिखाणा पड़ैगा!
टाबर
बै ई हुवै चोखा
जिका
रेवै टाबरां दांईं।
8
मार्यां-कूट्यां
नीं सुधरै टाबर-
लाड में
भौत हुवै ताकत!
अेकर
लाड कर’र
तो देखौ।
9
थानै
बैम है
कै थे
टाबरां नै
सुधारौ
अर बानै
संस्कारित करो।
खुद नै देखौ
खुद रै भीतर...
टाबर
सुधर ज्यासी
आपोआप।
10
टाबर
कित्ता हुवै संतोखी-
दोय रिपियां री
चीज सूं
हुय जावै राजी।
कित्तौ चटकै करल्यै
बिसवास
हरेक री बात माथै।
टाबर नीं जाणै
दगै रौ अरथ-
पण
सीख जावै
आपां सूं
सो’ कीं
अर हुय जावै
आपणै जिस्या।
11
टाबर बोल्यो-
आ साड़ी
मम्मी री नीं
मा री है
सूंघ’र
देखल्यो भलांईं!
म्हूं सोच्यो-
टाबर कित्ता स्याणां हुवै
नाक नै बरतै
आँख दांईं
अर आपां
आँख्यां होंवतां थकां ई
अणदेखी करद्यां
घणीकरी सी चीज्यां।
12
टाबर हांसै-मुळकै
अर करै मीठी-मीठी बातां...
टाबर सदांईं बोलै सांच।
आपां-
टाबरां सूं सीखां
आपां-
टाबरां ज्यूं दीखां।
13
टाबर नै आपां
टाबर समझ’र
क्यूं करद्यां अणसुणौ?
टाबर रै मन में
नां मैल
नां भेदभाव
नां जातपांत
नां छुआछूत
अर नां कोई
बणावटीपणौ!
म्हूं सांची कैवूं
कै टाबर
सांचा हुवै।
अेकर
टाबर री सुणौ तो सरी
भलांईं नां मान्या टाबरां री!
पण
सुणणैै में
कांईं है हरज
अेकर तो सुणौ...
टाबर नै
खाली टाबर ना समझ्या
औ दरपण है
घर रो-
अर आ तो थे ई जाणौ
कै दरपण
कदी नीं बोलै झूठ।
14
गोळी,टॉफी,चॉकलेट
का कुल्फी सूं
हुय जावै टाबर राजी...
साइकल
का स्कूटर माथै
थोड़ा हिण्डा द्यो
तद ई टाबर राजी...
आपां क्यूं नीं सीखां
टाबर सूं
राजी रैवण रौ राज?