म्हैं नीं जाणू

लारलो-आगलो जलम

म्हनैं नीं ठा

धरम री गैरायां

हाँ! पण

आदमी रो गू साफ करण री

जुम्मेवारी

जे किणी धरम मांय लिख्योड़ी हुवै

जे हुवै बणायोड़ी माया

किणी मिनख री

तो बीं नै

म्हारै साम्हीं ल्यावो

कीं सुवाल है

बूझणा है

गू रै

इण गटर मांय

बिठाय'र।

स्रोत
  • सिरजक : अनिल 'अबूझ' ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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