कुण जाणै

किरणी मोड माथै

बुझ जावै

इण जोवन रो

जगमगाट करतो दीवलो।

अर भटक जावां आपां

मौत रै अमावस जिसे

काळै धप्प अंधारे में।

जणै आवो,

किरणी तरै हंसर

गुजार देवां

सुख-दुख रै इण क्षणां नै।

तोड़ नाखां

फेंक देवां

सगळी बुराइयां री जड़ांनै।

अर सवार लेवां

इण मन रूपी

अमोल दर्पण नै

इण काया रूपी

साफ सुथरी आरसी नै।

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : मोहनलाल पुरोहित ,
  • संपादक : दीनदयाल ओझा
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