घुप्प अंधारै मांय डूब्यो
अेक स्हैर
ताकतो उम्मीद सूं
आभै कानीं
सोधतो आपरै खातर
कोई सूरज।
बाबा आदम रै जुग री
बूढ़ी इमारतां री
भींत्यां री
सेर् यां मांय ऊग्योड़ा
आक रा पौधा
उडीकै भींत्यां रै
और फाटण नै।
निजर बचाय
खिसकणै री फिराक में
चंदरमा
दे जावै ऊंघतै स्हैर नै
मुट्ठी भर उजियारो।