सुपनो टुट्यो हुवै
जियां
उचाट हुयगी नींद
अेक हड़बड़ाटी ही
उट्यो फड़को
थमगी हुवै
जियां जातरा
थाम लियो हो कांई।
सांसां री हांफणी
रोक्यां नीं रुकी
सै कीं उळझग्यौ
बचग्यौ अंधारघुप
डीळ में ही थरथराट
सबद विहूणां
होठ फड़क्या
अर अबोला हुयग्या।
बची अेक टीस
कीं नीं जाणन री
कमरो म्हारौ इज हो
खटके पर पड़ियो हाथ
हुयो उजास जद
निजरां पड़ी
चालै ही घड़ी
बज्या हा तीन
अर अजै
घणो अळगौ हो
अजेस दिन।