बो म्हनै झूठे बिस्वास राख्यों

घणै टेम स्यूं मोटी आस राख्यों

म्हारे मिनख पणै सूं मुंडों फेर'र

बो तो चम्मचा नै पास राख्यों

म्हनै काळो कुरूप जोकर बणाय

बो आपो आपनै ताश राख्यों

म्हारी आवाज नै हर टैम दबायों

आखी उमर म्हनै लाश म‌ राख्यों

म्हारे पुरखा रा नाव निसाण मैट

आपो आपनै इतिहास राख्यों

मीठा-मीठा बोल-बोल'र लुभायौ

पण सांची कैवूं खटास राख्यों

म्हारा सगळा पंख पखरू खोस'र

आपो आपनै आकाश राख्यों

आंखड़ल्यां जद जबाब देण लागी

'निर्मोही' पगा ने बो घास राख्यों

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : श्याम निर्मोही ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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