मजूर रा जळूस पै

लाठी गोळी चाली

किणरै घर

टाबरां री थाळी रैयगी खाली?

मजूर मांगै

रोजी-रोटी,

बोनस

कोनी मांगै राज।

फेरूं

क्यूं दबै मजूर री आवाज..?

मजूर है तो

मैंणत रो मुनाफो भरपूर

फेरूं वाजिब लाभांस सूं भी

सदीव रैवै क्यूं-क्यूं दूर ?

कारखाना री बदौलत

मालिक खुसहाल

मजूर फटेहाल

मैं पूछूं भई

क्यूं ?

क्यूं ?

स्रोत
  • पोथी : बिणजारो 2016 ,
  • सिरजक : श्यामसुन्दर टेलर ,
  • संपादक : नागराज शर्मा ,
  • प्रकाशक : बिणजारो प्रकाशन पिलानी
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