भाटे पे भाटो

भाटे पे भाटो

सोध-सोध लाया

सोच-सोच मेल्या

बणग्यो सितोळियो

सतखण्डो मै’ल

नेड़ै आय निरख्यो

छेड़ै जाय परख्यो

वाह रै सितौलिया

जिण देख्यो

उण सरायो

निरख-परख री

इण वेळां में

अेक अदीठ हाथ मे

पकड़ी थकी दड़ी

मुळकै ही

दूजै ही पळ

सितोलिये रा

सातूं भाटा

जाय भाटा

जाय पड्या

न्यारा-न्यारा

सतखण्डो मै’ल

मिलग्यो माटी में

आह रे सितोलिया

वाह रे सितोलिया।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली ,
  • सिरजक : भगवतीलाल व्यास ,
  • संपादक : श्याम महर्षि