बहन कहे सुण म्हारा वीर

1

धरती ऊपर पगल्या मॉड
माखण खीर खबाऊं खांड
चेपूं चन्दन और अबीर-
बहन कहे सुण म्हारा वीर।

2

ठुमक-ठुमक पग धर रे बाळ
फूंक-फूंक पग धर संभाळ
कण-कण कांटां री जमीं 
बहन कहे सुण म्हारा वीर

3

गायां रो तूं वणी गैंवाळ
आळी करजे सार-शंभाळ
दूध, दही, घी, खाजै खीर-
बहन कहे सुण म्हारा वीर।

4

पहला कदे न लीजे आळ
भणी, गुणी, जाई पोशाळ
सचवादां रो वणजे भीर-
बहन कहे सुण म्हारा वीर!

5

साथीड़ां सूं रखियो नेह
भूल-चूक मत दीजो छेह
कदे न हूजे खळ’ छळ गीर-
बहन कहे सुण म्हारा वरी!

6

सदा बड़ां रो करजे मान
कहणो करजे मर्म-पताण
विपत पड़े जद धरजे धीर-
बहन कहे सुण म्हारा वीर!

7

मती तोड़जे कुळ री काण
बहनड़ल्यां रो करजे माण
ओढाजे, दिखणी रो चीर-
बहन कहे सुण म्हारा वीर!

8

देश-धर्म री रखजे लाज
सदा बाँध जे पुनरी पाज
रूच-रूच न्हाजे गगा-नीर —
बहन कहे सुण म्हारा वीर!

9

अवलां रो करजे उपकार
सवलां-करजे हेत-हजार 
विणज करीजे हाटॉ-हीर —
बहन कहे सुण म्हारा वीर!

10

बळ बुद्धि रो बणी अखट
वैर्यां ने मत देयी पठ
छाती-ताण चलायी-तीर —
बहन कहे सुण म्हारा वीर!

11

कदे न करजे झूठो मान,
मत खोई  तन, धन, ईमान
दूर करी तू पर की पीड —
बहन कहे सुण म्हारा वीर!

12

अपणी भापा मीठा बोल
सदा बोलजे मन में तोल
बोलण में मत बणीं फकीर —
बहन कहे सुण म्हार वीर!

13

मनखपणे रो समझी छाण
जाणी नफो और नुकसान
शुध-बुध राखी, सा’ज शरीर —
बहन कहे सुण म्हारा वीर!

14

मती निरखजे पर की नार,
भावज रो करजे सतकार
इम्मट राखी सत-जत-सीर —
बहन कहे सुण म्हारा वीर!

15

वंश बढ़ा कर रखजे नाम
आलस-छोड़ करी नित-काम
देखाये मत वणी अमीर —
बहन कहे सुण म्हारा वीर!

16

ऊजड़ कदे न धरजे पाव,
बचन प्रमाणे सहजे घाव,
सोने सूं मत वणी कथीर —
बहन कहे सुण म्हारा वीर!

17

अण पड़े जद ऊपर भार
तणक उठाजे, भुजा पसार,
अपर-बळी बण हुई वहीर —
बहन कहे सुण म्हारा वीर!

18

सुणी, गुणी वीरां री ख्यात
बैठी सत पुरूषा री पात 
पूजी देव सिद्ध मुनि पीर —
बहन कहे सुण म्हारा वीर!

19

राजनीत रो समझी सार 
जाणी रीत-प्रीत-बोहार
हार-जीत सहजे हू वीर —
बहन कहे सुण म्हारा वीर।

20

सुख दुख में सुमरी भगवान
वण जे सगलां रो अगवान
तोल-मोल मे गहर-गभीर —
बहन कहे सुण म्हारा वीर!

21

थोड़ो जीणो है दिन चार
हिल-मिल चाली बात-विचार
कदेन लोपी न्याय-लकीर
बहन कहे सुण म्हारा वीर!

22

मां री कूख दूध री कार
‘कदे न हूजे हिम्मत-हार’
हिम्मत रे साथे तकदीर —
बहन कहे सुण म्हारा वीर।

23

राम-रूप सगळो संसार
पूजी-नित, चित-प्रीत-लगार
मॉडी मनड़े में तसवीर —
बहन कहे सुण म्हारा वीर!

24

आ वेला, मां रो दरबार
गोद बहन री, नेह अपार —
भूली मत, कहणो आखीर —
बहन कहे सुण वीर!

स्रोत
  • पोथी : गुणवन्ती ,
  • सिरजक : कान्ह महर्षि
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