जागी थारी चोट

नाभी थित म्हारी

कंवळी कुंडळी।

सैंस कंवळ

बिगस्यौ थारै परस

परमानन्द

आतम परचौ दियौ

उण छिण नै

सिमरूं सांसां साध

सिमरूं तौ

सिमर्यां दूणौ बधै।

स्रोत
  • पोथी : जातरा अर पड़ाव ,
  • सिरजक : सन्तोष मायामोहन ,
  • संपादक : नंद भारद्वाज ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी ,
  • संस्करण : प्रथम