मैं पलकां बिछावूं

जित्तै जित्तै मुहावरौ

कोस सूं निकळ बूहौ जावै

मैं सांयत गुणमुणावूं

जित्तै जित्तै अेक जुद्ध

कमीज री बांह सूं निकळ

लड़ भिड़ घायल कर जावै

मैं अरदास में माथौ निंवावूं

जित्तै जित्तै अेक वरदान

भींत माथला देवां रौ पाठौ फड़फड़ाय जावै

म्हैं हेलौ पाड़ण थावस उचारूं

जित्तै जित्तै इण सबद सूं निकळ

अेक अरथ बेगोसीक

म्हनै बेसी डिगपच कर जावे

सेवट

कविता नै सिंवरण री मन में जचावूं

जित्तै जित्तै वी जिकौ उणरौ मूंन व्है

भक्‍क देणी रौ चवड़ै व्है जावै।

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : चंद्रप्रकाश देवल ,
  • संपादक : डॉ. भगवतीलाल व्यास ,
  • प्रकाशक : राजस्थान साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर
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