मूंन

थारी कोनी

बगत री है

बावळा!

कूड़ रौ कोट चिणाय

कुण बणै सतवादी?

अबोला!

क्यूं डरै?

साच कद मरै?

तोड़णी पड़सी मून

इणी 'ज मिनखाजूण

नीत विहूण-

जबान खोल

साच नै आंच कठै?

कीं तो बोल

अणबोल्यां कद सरै?

अंतस रै उणियारै

चेतौ कर

जाग सकै तौ जाग

नीतर

थारा करम इज लै डूबैला

थारै भाग रौ सौभाग।

स्रोत
  • सिरजक : गजेसिंह राजपुरोहित ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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