जदै...
रळ मिल
रागस अर देवता
मथ्यो समंदर,
इमरत ताणी...
निकळ्यो,
नीरो जैर,
पण!
कुण पळोटै
ईं जैर नै।
कुण केवै,
मौत ने मासी,
थे करियो न्याव,
बचायो......
मोवणै सिरजण नै,
पीयौ,
नीरो जैर
अर
बांधी,
सृष्टि रै दरूजै।
सुख सांयत री बांदरवाळ,
थे शिव...
थ्हांकी ई मैहती
खेचळ सूं,
बचगी आ...
जगती अर जुगत।