सुवारथ में

डूब्योड़ी मकड़ी

चालती-चालती

जाळ गूंथै

पण

जाळ में आंटो दिसै नीं।

जाळ मांय

पज्योड़ा जीव

छटपटावै

अरड़ावै

जाळ सूं

बारै निसरै नीं

भोळा-ढाळा जीव

मकड़ी रै

गुंथीजतै जाळ रो

अरथ के जाणै?

बै जकड़ीजै

चारूंमेर

जणा

मकड़ी आपरो

सुवारथ पूरो करै

जीव अरड़ावता रैवै।

जाळ मांय

तड़फीजतै जीवां नैं देख’र

चिड़कली चांच सूं

जाळै नैं मिटा नाखै

पण-

सुवारथ री दुनिया मांय

जाळै नैं

मिटाणै खातर

चिड़कली

किण पाण

अन्नाहारी बण’र

जाळ में

चांच मारै?

जै चिड़कली

आपरै पाण

चांच उठावै

कांव-कांव करता

कागला

चारूंमेर फिर जावै

चिड़कली

संघरस करती

खून सूं नहा’र

घोंसलै मांय

लुक जावै

अर

जाळ गूंथती

मकड़ी

आपरो कुटुम्ब-कबीलो

बधावै।

सुवारथ री दुनिया मांय

बिक्रमादीत

कुण बणै?

स्रोत
  • पोथी : जोत अर उजास ,
  • सिरजक : रतन ‘राहगीर’ ,
  • प्रकाशक : युवा सिंधी विकास समिति
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