खुदरै मांय

खुदनै ढूंढ़णौ

अणूंतौ दोरौ है

लड़ाई है तो

अपणै आप सूं

खुदौ-खुद सूं

जाणणौ सैं कीं

ईरसा....गुस्सौ.....

राग-धेस.....

भावनावां थारी-म्हारी री

आं सबां नै

ढूंढ-ढूंढ़ काढ़णौ बारै

घणौ दोरौ है

खुद री बुरायां

जठै ताईं ढूंढ़णी

के सगळी

नीं आय जावै चवड़ै

मुसकल नीं

घणी मुसकल है

हारणौ खुदौखुद सूं

करणी खुद री बुराई

अर समझावणौ खुद नै

कुण चावै दुनिया मांय

जंत्रणा देवै जेड़ौ

काम है तो

जिनगाणी तो है

लगौलग संघरस

जलम सूं लेयर मिरतू तांईं

लड़ता रैवां आपां-

कदैई दूजां सूं

अर कदैई खुद सूं

इण मानखी दुनिया मांय

औळखणौ खुद नै

है खुद सारु कठण

घणौ अबखौ है काम

बीत जावै इणमें

आखी उमर...

स्रोत
  • सिरजक : बसन्ती पंवार ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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