जेठ री तपती मांय

भोभरसी रेत रै

डील माथै

आंगळी रै

कंवळै पोर सूं

लिखणो चावूं म्हैं

प्यार।

गै’री नींदां मांय

सोयी झील रै

पाथर हुयोड़ै

पाणी मांय

होळै-होळै

उतर’र

झिझका देवणो चावूं म्हैं

अेक ओपरोसो

अैसास दिराय’र।

पतझड़ री दहसत मांय

डरियोड़ै रूंख री फुनगी माथै

अेक हरयै पत्तै नैं

औपरी पून सूं

बचावणो चावूं म्हैं

खुद नैं बचावण वास्तै।

स्रोत
  • पोथी : साहित्य बीकानेर ,
  • सिरजक : कुमार श्याम ,
  • संपादक : देवीलाल महिया ,
  • प्रकाशक : महाप्राण प्रकाशन, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम
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