किरसो बीजै, बीज

सींचै

इण उडीक मांय

कै

बणैलो अेक दिन

दरखत जबरो बो!

फाड़ जमीन

बीज काढी

कूंपळ अेक

आयो भतूळियो

ले उड्यौ

उण कूंपळ नै

साथै सपनां किरसै रा!

स्रोत
  • पोथी : इक्कीसवीं सदी री राजस्थानी कविता ,
  • सिरजक : संजू श्रीमाली ,
  • संपादक : मंगत बादल ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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