बीज अेक सोयो सुपनां री

छांयां में सोनै रो सूत

बादळ री बूंदा बोली 'उठ,

जाग-जाग पिरथी रा पूत'

पान-पान में प्राण समाया

कोमल कूंपळ पसरी बेल

किरणां री माया भल दीपी

मन मोत्यां रो मांड्यो खेल

सीळी पून संदेसो ल्याई

कळियां उठ कीन्यो सनमान

फूलां छाई बेल सुरंगी

रूप दीन्यो रसदान

अम्बर रो हिरदो सरसायो

अेक बीज बणर सोरम रूप

संसारी माया रा लोभी

नर तूं सुण यो सार अनूप

स्रोत
  • पोथी : राजस्थान के कवि ,
  • सिरजक : मनोहर शर्मा ,
  • संपादक : अनिल गुप्ता ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर ,
  • संस्करण : तीसरा
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