म्हैं सूंपणी चावूं
सौ- कीं
पण औ जग
सवाल खड़ा करै।
म्हें पडूत्तर देवणी चावूं
सवाल माथै सवाल खड़ा करै।
सोचूं -
म्हारौ सूंपणौ महताऊ है
कै सूंपण माथै खड़या होया
सवालां रौ पडूत्तर देवणौ।
सोचूं म्हैं
उण जीव नै
जकौ सूंपण नै ई
सब सूं मोटो मानै।