अबार किण ठौड़ बिराजो हो
मलिक मुहम्मद जायसी महाराज
सुरग मांय कै जन्नत मांय?
जठै ई बिराजो, राजी-खुसी रैईजौ
आपरै सारू सुभ-असुभ
दोनूं तरै रा समाचार है म्हारै कनै!
म्रित्युलोक मांय
आपरी रचना ‘पदमावत’
दरसाव रै सागै
धूमधड़ाकै सूं फेरूं ‘रिलीज’ होयगी है
पण देखण रौ हुकम म्हांनै ई कोनी
तो आपनै कुण दिखावैला?
थे तो बीजा-तीजा धरम होय’र ई
रची ही निरमळ मन सूं
पावन पदमावत रै जौहर
अर हिन्दू क्षत्रियां री पराक्रम गाथा
बीजौ कोई पड़पंच नीं हो
पण
थे कदैई सुपनै में ई नीं सोची होवोला कै
सईकां पछै
आपरी इण कविताई नै लेय उडैला
कोई मुंबईयौ
अर धन कमावण रै चक्कर मांय
उणमें घालैला घूमर अर
आपरा अपरोगा फिल्मी फारमूला
पछै रोड़ौ अटकावणियां रै लागैला ताबै
पराक्रम अर जौहर री ठौड़
वै दिखावैला आप-आपरौ जोर
अर काळा मन रा धौळपोसिया
बणावैला तिल रौ ताड़
आप-आपरै सुवारथां रा तिरावैला भाठा
माजनौ गमायोड़ै मीडिया रै उचकायां
जौहर री जग्यां होवैला
ठौड़-ठौड़ आगजनी अर माथाफोड़
अदल न्याव रौ ऊंचलौ दरबार ई
संवेदणा रै इण संकटकाळ मांय देवैला
टाबरां दांई फैसला
अर राज, रैयत नै छोडैला
भाग रै भरोसै!
खैर, म्हैं तो काढ लेवांला म्हारौ कांटौ
अभिव्यक्ति री आजादी सूं
पण म्हनै चिंता इण बात री है कै
आप जैड़ा कवियां रौ कांई होवैला
जायसी जी महाराज!
जका रचैला आपरै धरम सूं जुदा
किणी दूजै धरम री गौरवगाथा
कै बांचैला वीरां रा बिड़द?
इण वास्तै ईज पूछ्यौ हो-
अबार किण ठौड़ बिराजौ हो
मलिक मुहम्मद जायसी महाराज
सुरग मांय कै जन्नत मांय?
पण जठै ई बिराजौ, सावचेत रैईजौ!
विरोध अर फतवौ जारी करणवाळा
कणैई पूग सकै है आपरै कनै
क्यूंकै अभिव्यक्ति री आजादी
वांनै ई मिल्योड़ी है, आपनै नीं
फगत वांनै ईज मिल्योड़ी है, आपनै नीं!