आंधी पीसै कुत्ता खावै।

थारै घर सूं कांईं जावै।

क्यूं आं साथै माथो मारै।

क्यूं बिरथा जी नै कळपावै।

तू दीयाळी रा गाए जा।

जे अै स्सै होळी रा गावै।

थारै तन पर अेक तागो।

आं सगळां नै भावै बागो।

सूळी ऊपर से’ज सजालै।

नींद जिको कीं आधी आवै।

स्रोत
  • पोथी : थार सप्तक 5 ,
  • सिरजक : जनकराज पारीक ,
  • संपादक : ओम पुरोहित ‘कागद’ ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन, जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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