घर में बड़तां घरवाळी

बर-बर बात बतावै है

जो दिन भर थारै सागै है

बै रात्यूँ घात रचावै है

वो बाबै वाळो बालूड़ो

अबकाळ ऑटो चालै है

सरपंच बणबा नैं साच्याणी

सोहन रै सड़फां चालै है

म्हैं काल सुणी ही कानूड़ी

काकी काकै नै कैती ही

जमना - जेठाणी कम कोनी

बेज अकड्योड़ी रैती ही

भँवरी भाभी री बात सुण्याँ

कानां रा कीड़ा झड़ ज्यावै

हूँ गळी गळी जाती दीखूं

बा खड़ी खड़ी ही खूंखावै

जात्याँ रा संगठन जुड़ियोड़ा

अबकाळे फोड़ा घालैला

सरपंची सो'री कोनी है

बिण मरियां गंगा घालैला

घर-घर में फूट फजीता है

घर-घर में नेता नाचै है

सरपंची खातर हर घर में

बूढा अर बाळक माचै है

थे रात्यूं घर-घर हांडो हो

जण जण रा न्होरा काढो हो

पैली घर नै तो ओक करो

खुद हाथां पग क्यूँ बाढो हो

पावक पर पांव रखै जैड़ो

खेल कडूंबो बाळै लो

नेमै री नीत बिगडगी है

टीकू टोगड़िया टाळे लो

का' नै रै मन में कुटळाई

खेतै रै खोट अणूतो है

गिरधारी गूंगो बण बैठ्यो

घड़सी घमंडीज्यो सूतो है

चतरू री चांच घणी चालै

छिगनो छाती छोलै हैं

जालूड़ी जुलम ढहावै है

झमकड़ी अकड़ी बोलै है

टांडै है रह-रह टाकरियो

ठाकरियो रंग दिखावैलो

डालू रो डोळ सामने है

ढूंकळियो ढाणी जावैलो

तेलूड़ी तड़कै आई ही

थानै रा न्होरा काढै ही

दानो अर धन्नो दूंकै हा

नानूड़ी बुरड़ा बाढ़ ही

पतिदेव पिरागाराम सुणों

सेखी नैं भातो आयो है

फूंसै फूंफै नैं फत्तूड़े

बालू नैं भेज बुलायो है

भगवानो काल भुवाजी नैं

भेडां रो दूध पुगावण ग्यो

(वै) टूट्या हा डोढ़ बरस पैली

अब कुणसो दरद मिटावण ग्यो?

सरपंची भावै सगळां नैं

सगळां रै ल्याळां टपकै है

अबकाळ काम कसूतो है

चात्यां छात्यां सूं चिपकै है

मलखूड़ी कूड़ी कोनी है

घर फाट्यां खीरा बरसैला

सरपंची जावैली घर सूं

थूं पंच बणण नैं तरसैला

सासूजी पैली सरपंच हा

उणसूं पैली हा सुसराजी

अबकै थूं मूंढ़ो काढै है

कोई पण थांसूं नीं राजी

दस साल लारला दारूड़ी

पी पी मारूड़ी गाई ही

दूजां रै घर में दैण करी

थूं जा जा उधम मचाई ही

अै हाथ बिछाया कांटा है

खुद री पगथळियां गडणा है

औरां सूं पार पड़ै कोनी

अै घरवाळा सूं कढणा है

थे पगां पोतियो न्हाख लारला

पाप धोय घर नैं जोडो

घर जुड्यां पछै पंचायत में

थे दाय पड़ै जितरा दौड़ो

मान मन्त्रणा मलखूड़ी री

सब घरवाळां नैं जोडण नैं

पग साम पिरागो चाल पड़यो

रूस्यां रा मनड़ा मोड़ण नैं

यूं गाँव गाँव अर घरै घरै

बस अक हथाई चालै है

सरपंच बणबा नैं सगळां रै

अब खरी खुजाई चालै है

थे सोच समझ नैं वोट कर्या

जातां - पातां सूं मत भटक्या

साचां रो साथ निभाणो है

पाखंड पाप में मत अटक्या

जो देस-धरम नैं नीं मानै

इसड़ां नैं सबक सिखाणो है

जो दीन दुख्यां रो साथी है

उनै सरपंच जिताणो है

स्रोत
  • सिरजक : गजादान चारण 'शक्तिसुत' ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी