सरसती मन आँगणिये आवो

मैया! मन आँगणिये आवो।

भाव भरैला भोळा मन मएँ,

गीत कवित्त हबावौ..

मैया मन आँगणिये आवो

उजळू पहेरण, वरण है उजळो,

उजळी आँख ठरैली।

हातै वीणा, वेद कमलदल,

मूरति ममत भरैली।

उजळो हंस सरोवर उजळू,

उजळा सुर ल्हैरावो...

मैया मन आँगणिये आवो

कविता कामण कंकु बणावूं,

तोरण छंद सवैया।

गीत गुलाल म्हारी, दूहो दीवड़ो,

हाते'य सुर गवैया।

अलंकार-उपमा नी जगमग,

आखर आरती ल्हावौ...

मैया मन आँगणिये आवो

सबद परूवी शणगार करावुं,

गाउँ महिमा तमारी।

कंठे विराजो, खम्मा सरसती

दैजु बुद्धि उपकारी।

अरज करूँ माँ मातु नमावी,

साहित्त सेवा करावौ...

शारदा मन आँगणिये आवो

स्रोत
  • सिरजक : आभा मेहता 'उर्मिल' ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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