ढक देवूं रोसनदान री जाळी

बारणै पर स्प्रिंग लगवा देवूं

कै कबूतरां-चिड़कल्यां रै

घर बणावण री रुत है!

रैवूं अेकली राजी

घर साफ-सुथरो है

कठैई तिणकलो

कचरो है!

स्रोत
  • पोथी : मंडाण ,
  • सिरजक : रचना शेखावत ,
  • संपादक : नीरज दइया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण