संगत रै म्हैं

चाळै लाग्या

हाथै आयो

बच्यो-खुच्यो...

जन्नत रै

लालच में आया

साथै आयो

बळ्यो-झळ्यो!

मौज-मजा री

मैफिल मांडी

हाथै आयो

जिस्यो-किस्यो...

जाजम रै

खूणा पर बैठ्या

हाथै आयो

अळ्यो-गळ्यो।

स्रोत
  • पोथी : अंजळ पाणी ,
  • सिरजक : कुन्दल माली ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी