अबार तो आभो

टोपसी ज्यूं

लाग रैयो है

तू थारी

जिम्मेदार्यां सूं

भाग रैयो है

पण इयां भाग

कोनी जागै।

मैनत बिना कोई

नीं रैवैला सागै

संभळ जा—

पछै कीं हाथ नीं आवैलो

धरती माथै

खाली भार

बढ़ावैलो।

स्रोत
  • पोथी : हूं क तूं राजस्थानी कवितावां ,
  • सिरजक : नगेन्द्र नारायण किराडू ,
  • प्रकाशक : गायत्री प्रकाशन
जुड़्योड़ा विसै