कोई साच कैवै तो
वो रिसीज जावै
पण साच नै झूठ कैय
बरी होय जावै है
जदै ई कोई
साच री आवाज उठावै है
आवाज दबाय
दरिंदा गिटक जावै है
भींतां-आंगणां मांय
ऊग जावै है
जदै भाई-भाई रा रिस्ता
बाजारी बण जावै है
सनेव, संबंधा मांय जदै
तावड़ो आवै है
सुवारथ खातर सगळा
बौपारी बण जावै है
किणी सूं ई अबै
दु:ख दरद री बात करां तो
ज़िंदगी रा हर पल
अखबारी बण जावै है।