दुनाली री नोक माथै रख’र

सबद दाग दिया

गूंगै इलाकै में,

अंधारो

घर री चौखट रै मांय भीतर

ल्हुक्योड़ो बैठ्यो हो!

पुलिस

अंणजाण पगां रै

उणियारै री

पड़ताल कर रेयी ही,

सूरज

आपरी थाक्योड़ी दीठ सूं

मंजर देखरियो हो,

एक मिनख

चवड़ै धाड़ै

अंधारै ने अंधारो कैयो,

अर गिरफ्तार व्हैग्यो

स्हैर री सड़कां माथै

हाल तका-तक

वा री वा

चहल-पहल ही!

स्रोत
  • सिरजक : कृष्ण कल्पित ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी