कद लाग्या सीखण

एक एक ध्वनि स्यूं

एक एक आखर होतां

एक एक सबद

पर कद सीख्यो?

के बोलणो?

कद बोलणो..?

किंया बोलणो?

अर कुण स्यूं बोलणो?

क्यूंकै सीख्यो कोनी

के सबद ब्रह्म है,

अजर-अमर,

मुंह स्यूं निकळ'र

पसर जावे

सकल ब्रम्हांड में,

अर पाछै

फिर-घिर जावे

सागी जिग्यां!

स्रोत
  • सिरजक : नीलम पारीक ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी