कद लाग्या सीखण
एक एक ध्वनि स्यूं
एक एक आखर होतां
एक एक सबद
पर कद सीख्यो?
के बोलणो?
कद बोलणो..?
किंया बोलणो?
अर कुण स्यूं बोलणो?
क्यूंकै सीख्यो ई कोनी
के सबद ब्रह्म है,
अजर-अमर,
मुंह स्यूं निकळ'र
पसर जावे
सकल ब्रम्हांड में,
अर पाछै
फिर-घिर आ जावे
सागी जिग्यां!