क्यूं काटी थां रूख नै,

रूंख है थांरी जान,

पूजौ इणनै प्रेम सूं,

रूखां में भगवान,

साथिड़ा रूखां में भगवान।

टाबर रै टीका लगै,

सैंठौ रेवै सरीर,

रोग नैड़ौनी रेवै,

परी कटै पीड़,

साथिड़ा परी कटै पीड़।

पढ़ लिख नै परवीण बणौ,

छोड़ौ पुराणी लीक,

आखर जौत जगायदौ,

गुरुवर री सीख,

साथिड़ा सुरसत री सीख।

मौसर खरचौ मार दै,

कादा में कळ जाय,

टाबर रै टूपौ लगै,

कदीयन ऊंचौ आय,

साथिड़ा कदीयन ऊंचौ आय।

काची ऊमर में क्यूं देवौ,

कन्या नै परणाय,

काचा टीटा काचरां री,

लंबी लैणं लगाय,

साथिड़ा लंबी लैंण लगाय।

स्रोत
  • पोथी : इन्दर नै ओळभौ ,
  • सिरजक : अमर सिंह राजपुरोहित ,
  • प्रकाशक : रुचिर प्रकाशन
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