फारम रौ फेरौ देवतां
म्हैं बायी
म्हारा खेत में कविता
उण रै पीळा-पीळा
सुवावणा फूल आया
औ
करसा रौ छोरौ
हे-हा-हो-हे सूं
करै कविता री रुखाळी
कविता बा’वण सूं उण री
रुखाळी मोटी बात है
जद इज आ कविता
पूगैला
मिनखां तांई।