फारम रौ फेरौ देवतां

म्हैं बायी

म्हारा खेत में कविता

उण रै पीळा-पीळा

सुवावणा फूल आया

करसा रौ छोरौ

हे-हा-हो-हे सूं

करै कविता री रुखाळी

कविता बा’वण सूं उण री

रुखाळी मोटी बात है

जद इज कविता

पूगैला

मिनखां तांई।

स्रोत
  • पोथी : डीगरां-डीगरां ,
  • सिरजक : शंभुदान मेहड़ू ,
  • संपादक : धनंजया अमरावत ,
  • प्रकाशक : रॉयल पब्लिकेशन, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम