कालै हाजें गुरासां ना,
मकी नै गवँना रोटा
हामा हामी लड़वा मांड्या,
ऊँसा थई थई नै।
गवँनो रोटो बोल्यो -
मूँ रूडौ नै रुपाळौ
हूँ वालौ गवालौ
राजा मन्त्री नै अफसरं नो वालौ
राष्ट्रपति नो ए आकँ नो तारौ
फलका नै परामठां ना रूप मैं
देस नै वदेश मैं मारी धाक
केम के मारी घणी ऊँसी जात।
समाखा जौड़ा हरको कोडौ।
कासबा हरकू डील
कोंदरायौ,
नोव मइनुँ ना पेट हरकौ फूलणौं
वाकाँ फुण्णा नौ,
जात नो नैसौ।
मारी हौर तू
हात अवतारै ए नै करी सकै
ते मकी नो रोटौ बौल्यौ-
ए लूला नै लपंगा
ई हासू कै तू जात नौ मोटौ
पण आड़ में घौंणौ नानौं
एकस रंग
एकस खाल
नेर नू पाणी नै मलै त तू
टांटिया कुटी कुटी नै मरैं।
नै मूँ
पुकड़ा में ओदरी मौटौ थऊँ
धोरा, राता नै पीरा रंग मैं
चन्द्रशेखर नै भगत सिंह हरकी मुँसै
तरूवार हरकी
लटकती पनुवेरै।
जीत ना डंका मारती माजेरै
वाला वेटा परते केडँ मैं कुंसियँ
वगर दाँत वारा ऐ सब
राब नै थूली करी
घटा घट मनै खएं
मारै वना
राजा नै परजा वल
नेता नै मंत्री वल
जोगी नै जती वल
कलैडा नै धमाकै
दुसमन नँ कालजँ फफडै़
केम के मुँ मकी नो रौटौ।