(अेक)

जीवा का घणा सुख है
सूखा रुखड़ा भी
जड़ां सूं चिपक्या रहै।

(दोय)

म्हारी धरती का बड़ा-बूढ़ा
महड़टी* की तैयारी में
मौत सूं पहलां ही
लाकड़ी भेळी राखै
कोई खै न्ह देय
थारा घर में रूखड़ो कोनी?

*मरघट

स्रोत
  • पोथी : कथेसर ,
  • सिरजक : अमर दलपुरा
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