भलांई

बारह बरस में सही

पण अेक बार तो

चेत ही छै रेवड़ी की भी।

चेगती भी क्यूंन

क्यूं कै जगत की भ'लाई नैं

काळज्या में धर'र

अमरत करबा को काम

वा ईज तो करै छै।

स्रोत
  • पोथी : मंडाण ,
  • सिरजक : राजेन्द्र गौड़ 'धूळेट' ,
  • संपादक : नीरज दइया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : Prtham
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