दे दै, पांखड़ल्यां म्हारा राम
उड आ जाऊं थारै पास
क्यूं तरसावै दिन अर रैण
सह ना पाऊं इव यो भैम
या काया थारी माया सारी
रमरी जीं में दुनिया सारी
भांत भांत का जीव-जिनावर
केई जूणां में अटकी सारी......
अंडीनै-उंडीनै पग-पग
खींचाताण मची घर-घर
आप-आपकी मोह-माया का
भरम भंवर भर-भर....
म्हारो मनड़ो टेर लगावै
छिण-छिण यो तनैं बुलावै
मनड़ो-तनड़ो-जिवड़ो थारी
बस, थारी ही बात बतावै.....
सब भरमां सूं पार लगा दै
यां भरमां नैं 'तूं' मिटा दै
दे दै, निजरां की पांखड़ल्यां
निजरां सूं आ जाऊं थारै पास......