चूल्है चाढी लापसी, हा’रै सीझै दाळ।
टाबर जीमै कोड सूं, घाली घी री लाळ॥
फांक पतासा खोपरा, गुड़ खारक अरू दाख।
ब्यांव बिचाळै बांटता, खाय पिदांता काख॥
दादी दही बिलोंवती, दिनगां उठतां पांण।
कड़ी नेतरो सींखळो, ने’डी करती तांण॥
छाछ राबड़ी रायतो, कुमट सांगरी केर।
बाजरियै रा सोगरा, मुरधर थारी म्हेर॥
मिरचां सागै पींच ल्यो, काचरियै रा बींज
चटणी चटकादार सी, चाटण जोगी चीज॥
काचरियां रा कोचला, चूल्है लिया उबाळ।
ल्हसण सेत्यां छमकियां, मुंडै टपकै लाळ॥
बाजरियै रा सोगरा, ग्वार फळी रो साग।
चूर जिमावै मावड़ी, मोटा म्हारा भाग॥
ग्वार फळी गुण री भरी, मुरधर री मनवार।
धूंवों लाग्यो तेल रो, हूगी बूजी त्यार॥
केर खिंपोळी सांगरी, फोफळियां रो साग।
काचर बोर मतिरिया, खावां मोटा भाग॥
खेजड़ली री सांगरी, रोहिड़ा रा फूल।
झाड़ी वाळा बोरिया, कइयां जावां भूल॥