अेकर अणबूझ हुय जावै सवाल
साफ हुय हुय जावै
अैड़ा आखर
जका बतळावण कर सकै सवालां सूं
कै थे क्यूं बाको उबायां त्यार हो
गिटण नै
निरी भोळी सब्दावळी
हुय सकै आखर
सिस्टी री घड़त में
लगाई हुवैला पूरसल तागत
अर, सोच्यो हुवैला
मिणियो-मिणियो माळा बणनो
राजनीति फगत तागै री है
जकै चोपड़ राख्यो है
डील माथै अणथाग मोम
जिण सूं
तिसळ-तिसळ जावै मिणिया
अर नीं हुय सकै अेकल
ओ'हीज कारण कै
सवाल ओजूं तांई बूझै है सवाल
- लाई पड़ूतर
सफां गूंगो।