तूंबो बेलड़ी नै पूछयो-
‘मावड़ी! म्हैं तो नित-नित
बध्या जाय रैयो हूँ।
तू ईज क्यूं सूकती जावै है?’
नीची निजर कर नै बेलड़ी
पडूत्तर दियो-
‘लाडला! आपरै रगत मांय
जैर देख नै
ममता अलूणी ईज मरज्यावै’।