तूंबो बेलड़ी नै पूछयो-

‘मावड़ी! म्हैं तो नित-नित

बध्या जाय रैयो हूँ।

तू ईज क्यूं सूकती जावै है?’

नीची निजर कर नै बेलड़ी

पडूत्तर दियो-

‘लाडला! आपरै रगत मांय

जैर देख नै

ममता अलूणी ईज मरज्यावै’।

स्रोत
  • पोथी : बिणजारो पत्रिका ,
  • सिरजक : भगवती प्रसाद चौधरी ,
  • संपादक : नागराज शर्मा
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