मत करौ मेह री मनवारां
अणनूंती आंधी आवण दौ
जावण दौ मंड्या बादळां नै
धूड़ै नै धुमच मचावण दौ।
औ मौसम
घण कुचमादी है
कुदरत पण इणरी आदी है
हवा रै लारै खेंह आवै
आंधी रै लारै मेह आवै!
लखदाद ऊगतै सूरज री
भू-रज पर पड़ती किरणां नै
हिरणां ज्यूं फिरै नईं फिरती
अै भंवै अंधारौ भांजण नै
मांजण नै काळख धरती रौ
पड़ जावै पीळौ रड़वड़तौ
अड़वड़तौ घोड़ौ रुकै नईं।
मत रोकौ आथमतौ सूरज!
अणथाग अंधारौ छावण दौ
गावण दौ गीत डाकण्यां नै
भूतां संग रास रचावण दौ
तारां नै रात हंसावण दौ।
उतरादौ तारौ ऊगैला
सज सूरज पाछौ पूगैला
देवै है- सखरी सीख भांण
जीवण नै रण रौ रूप जांण
तद मरदां वाळी बात हुवै
रात पछै परभात हुवै।