प्यारा बापूजी

जकी सूळां री झाड़ी

थे काट नांखी ही बारै

थांरै गुलदाउदी रै बगीचै सूं

ओळखो, म्हैं वा इज हूं सागण

थां रा वै अंगरेजी पौधा

थूळ मांय रळ रैया है

अर म्हारी डाळ-डाळ माथै

नवा गुलाब खिल रैया है।

स्रोत
  • पोथी : मंडाण ,
  • सिरजक : रचना शेखावत ,
  • संपादक : नीरज दइया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण