आधी रोटी

कद तांई खावैला!

थारो हक

क्यूं हमेस

दूजो लियां जावैला!!

घणो सैयो

अब कीं कर

उठ मजूर

हक माथै हल्लो बोल...

थारी मैणत रो

पूरो लै मोल!

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुनियोड़ी ,
  • सिरजक : मधु आचार्य 'आशावादी'