मिनख रै नीजू गोरखधंधा

अर खेती नै चाटती

पूंजीवाद री पळपळावती जीभ

सो कीं चाट्यां पछै

लपास लाग्योड़ै पेटां नै

सुवाद बतावै।

स्रोत
  • सिरजक : शिव बोधि ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोडी़