इण देस रो
प्रजातन्त्र खोग्यो छै
जिको घणो ई ढूंढ्यो।
पण नी मिल्यो
ऐक दिन चाणचूक मिलग्यो
देखूँ तो
रास्ण री 'क्यू' मांय
फट्योहाल ऊब्यो छो।
मैं कह यो
ओ काईं हाल थारो
सुदामा बणग्यो
पग बिवाई सै फाटग्या
अर तू मनै हेलो ई नी मार्यो।
बी री आंख्या
आली गीली होगी
वा नै पूंछतो,
रोवतो, सूबुकतो सो बोल्यो
मैं काईं करूं भाई।
म्हारै अेक साथ
तीन तीन बेमान्या लागगी
सूखो, बाढ'र काळ
अब दिनू दिन इण रो छूँ।
आदि होव तो जाय रयो।
मैं फेरूं
प्रजातन्त्र कानी जोयो
बो जोरां सूं
रोवरण लाग्यो हो।
मैं काई नी बोल्यो
चुपचाप वा नै जीवतो रहयो।