खाली है थांरा

अदीतवार सूं लेय'र

सनिवार तांई रा सातूं खानां

कै वार रै अेक-अेक खानै

मांडो थे कूं कूं पगलिया

अथम अनै-

निसर जावो

थांरी आगै री जातरा माथै।

म्हारो धन,

थांरै उदय-अस्त रो

सिमरण।

स्रोत
  • पोथी : मंडाण ,
  • सिरजक : सन्तोष मायामोहन ,
  • संपादक : नीरज दइया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : Prtham
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