हौवै,

ये रौवै

अने

नै हौवै

ये रौवै।

गरीब बापड़ू

हरतै नाय नै

हरतै धोवै।

सोरं

पाणा मारतं थई ग्यं हैं।

नै भणावो

नै कई बणावो

तो

आपड़ै सब नै सोरं

बिजं नै हांटा हामू जोवै हैं।

केम के

आपडै़ तो

हौवै ये रौवैं अने

नै हौवै ये रौवै।

स्रोत
  • पोथी : वागड़ अंचल री ,
  • सिरजक : ललित लहरी ,
  • संपादक : ज्योतिपुंज ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : Prtham
जुड़्योड़ा विसै