पूंजा की गुरिल्ला नीति सूं
अकबर की सत्ता हलगी रे।
राणा को सैनक बणकर रे
मानसिंह ओंदो पड़ग्यो रे।
अकबर न खबर लगी जद
पूंजा कै पैरां पड़ग्यो रे।
पूंजा की गुरिल्ला नीति नै
राणो सीखबा लाग्यो रे।
पूंजो शेर अकेलो ही
राणा को मान बढाग्यो रे।
जुद्ध बीच मं रुकग्यो रे
चित्तौड़ की लाज बचाग्यो रे।
चित्तौड़ की हळदीघाटी मं
पूंजा की पूरी टोळी नै
लासां को ढेर लगादयो रे।
या देख नजारो घाटी को
राणा को भरोसो जाग्यो रे।
या जुद्ध भीलां सूं जीत्यो रे
अकबर की सेना पाछै हटगी
मानसिंह जैपर में छुपग्यो रे।
बाबर सपना में आयो रे
अकबर न घण समझायो रे
इतिहास का कोरा पन्ना में
राणा का गीतां सूं कागद
काळो हैग्यो रे।
पूंजा की बारी आयी तो
कागद कमती पड़ग्यो रे।
लेखक नै जात को
बिच्छू डसग्यो रे।
कलम सूं राणो बचग्यो रे
'कारीगर राणा की मूरत घड़ दी
मूरत सूं राणो बचग्यो रे
राणा को मंगळ हैग्यो रे।
पूंजा नै जंगळ खाग्यो रे
पूंजा नै लोक अमर करग्यो रे।